वो मुल्क जहां मर्ज़ी से जान देने जाते हैं लोग
मशहूर वैज्ञानिक डेविड गुडऑल ने स्विट्ज़रलैंड के एक क्लिनिक में अपने जीवन का अंत कर लिया.
वो लंदन में पैदा हुए और फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में रहते थे लेकिन उन्होंने खुदकुशी के लिए स्विट्ज़रलैंड के लिए चुना. लेकिन इसकी वजह क्या है?
दरअसल, दुनिया के कई देशों में इच्छामृत्यु की इजाज़त हैं, लेकिन उसके लिए शर्त ये होती है कि मरने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो.
पूरी दुनिया में स्विट्ज़रलैंड ही एक ऐसी जगह है जहां एक स्वस्थ व्यक्ति भी अपनी मर्जी से जान दे सकता है. यहां 'असिस्टेड सुसाइड' की इजाज़त है.
104 साल के वैज्ञानिक डेविड गुडऑल ने भी 'असिस्टेड सुसाइड' किया है. असिस्टेड सुसाइड है क्या?
जब कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से खुदकुशी करना चाहता हो और इसके लिए वो किसी की मदद लेता है, तो इसे 'असिस्टेड सुसाइड' कहते हैं.
इसमें मरने की चाहत रखने वाले व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति खुदकुशी के साधन देता है. सामान्य तौर पर जहरीली दवाई देकर उन्हें मरने में मदद की जाती है.
स्विट्ज़रलैंड में असिस्टेड सुसाइड के लिए एक शर्त ये भी है कि मदद करने वाले शख़्स को ये लिखित में देना होता है कि इसमें उसका कोई हित नहीं छिपा है.
विदेशियों को भी खुदकुशी की इजाज़त
द इकोनॉमिस्ट के मुताबिक स्विट्ज़रलैंड एक ऐसा देश है, जहां किसी बालिग को मरने में मदद दी जाती है. यहां असिस्टेड सुसाइड की शर्त किसी तरह की गंभीर बीमारी नहीं होती है.
यहां उन लोगों को भी मरने में मदद दी जाती है, जो देश के नागरिक नहीं हैं. यानी यहां विदेशी नागरिकों को भी असिस्टेड सुसाइड की सुविधा मिलती है.
स्विट्ज़रलैंड के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में 742 लोगों ने असिस्टेड सुसाइड किया था. वहीं, बिना मदद के अपनी जिंदगी की कहानी खत्म करने वालों की संख्या 1,029 थी.
असिस्टेड सुसाइड करने वालों में से अधिकतर बुजुर्ग थे, जो गंभीर बीमारियां झेल रहे थे.
मरने में मदद करने वाली संस्थान के अधिकारियों के साथ डेविड गुडऑल
मरने से पहले गुडऑल ने क्या कहा
मरने से पहले डेविड गुडऑल ने मीडिया से कहा कि असिस्टेड सुसाइड की ज़्यादा से ज़्यादा इजाज़त देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, "मेरी उम्र में, और यहां तक की मेरी उम्र से कम कोई भी व्यक्ति अपनी मौत को चुनने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए.''
एबीसी न्यूज के मुताबिक मरने में मदद पहुंचाने वाली संस्थान एक्जि़ट इंटरनेशनल ने बताया कि डेविड गुडऑल की नसों में एक पाइप लगाई गई, जिससे ज़हर को शरीर के अंदर भेजा जाना था. डॉक्टर के ऐसा करने के बाद डेविड ने खुद मशीन के चक्के को घुमाया ताकि ज़हर उनके शरीर में जा सके.
अधिकतर देशों में, जहां असिस्टेड सुसाइड की इजाज़त है, वहां डॉक्टर मरने की चाहत रखने वाले के शरीर में ज़हर देते हैं. वहीं, स्विट्ज़रलैंड में मरने वाले खुद ही अपने शरीर में ज़हर डालते हैं.
सुसाइड ट्यूरिज्म
स्विट्ज़रलैंड में ऐसे संस्थान सक्रिय हैं, जो असिस्टेड सुसाइड में मदद करते हैं.
मरने में मदद करने वाले संस्थानों का उपयोग अधिकतर विदेशी नागरिक कर रहे हैं. यही कारण है कि स्विट्ज़रलैंड को 'सुसाइड टूरिज्म' के लिए भी जाना जाता है.
भारत में इच्छामृत्यु
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 09 मार्च, 2018 को 'इच्छामृत्यु'
को मंज़ूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने का अधिकार है.
कोर्ट ने इसके लिए 'पैसिव यूथेनेशिया' शब्द का इस्तेमाल किया है. इसका मतलब होता है किसी बीमार व्यक्ति का मेडिकल उपचार रोक देना ताकि उसकी मौत हो जाए.
कोर्ट ने यह आदेश असहनीय बीमारी से जूझ रहे मरीज़ों की मदद के लिए दी थी.
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट ने इस फ़ैसले का स्वागत किया था. उनका कहना था कि कृत्रिम साधनों के ज़रिए मरीज़ को ज़िंदा रखने की कोशिश से सिर्फ़ अस्पतालों को पैसा कमाने की सुविधा मिली है.
कहां-कहां है खुदकुशी की इजाज़त
नीदरलैंड, बेल्जियम और लक्ज़मबर्ग में इच्छामृत्यु और असिस्टेड सुसाइड, दोनों की अनुमति है. नीदरलैंड और बेल्जियम में नाबालिगों को विशेष मामलों में इच्छामृत्यु की इजाज़त दी जाती है.
कोलंबिया में भी इच्छामृत्यु का कानून मौजूद है.
अमरीकी के कुछ राज्य जैसे ओरेगन, वॉशिंगटन, वेरमॉन्ट, मोंटाना, कैलीफॉर्निया, कोलोराडो और हवाई में असिस्टेड डेथ की इजाज़त गंभीर बीमारी होने पर ही दी जाती है.
ब्रिटेन, नॉर्वे, स्पेन, रूस, चीन, फ़्रांस और इटली जैसे कई बड़े देशों में इसे लेकर आज भी बहस जारी है और इच्छामृत्यु फ़िलहाल ग़ैर-क़ानूनी या सशर्त दी जाती है.
इच्छामृत्यु किनके लिए?
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मरीज़ की बीमारी असहनीय हो जाए, तभी वो इच्छामृत्यु के लिए आवेदन कर सकता है. जिन देशों में इच्छामृत्यु लीगल है, उनमें से ज़्यादातर में इस नियम का पालन किया जाता है.
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नीदरलैंड में देखा जाता है कि मरीज़ की बीमारी असहनीय है कि नहीं और उसमें सुधार की कितनी संभावना है.
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बेल्जियम का कानून भी इससे मिलता-जुलता है. मरीज़ की बीमारी असहनीय होनी चाहिए और उसे लगातार बीमारी की वजह से पीड़ा हो रही हो, तभी इच्छामृत्यु का आवेदन स्वीकार किया जाएगा.
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अमरीका और कनाडा में मरीज़ को इच्छामृत्यु के लिए मदद तभी मुहैया कराई जाती है, जब बीमारी असहनीय हो, इलाज के ज़रिए उसे ठीक कर पाना असंभव हो और उसे लगातार पीड़ा हो रही हो.
मरीज़ की उम्र कितनी हो?
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सिर्फ़ नीदरलैंड और बेल्जियम में ही 18 साल से कम उम्र के मरीज़ों को इच्छामृत्यु का आवेदन करने की अनुमति है. अगर 16 से 18 साल का कोई मरीज़ इच्छामृत्यु का आवेदन करता है, तो मरीज़ के माता-पिता भी इसमें कोई रोकटोक नहीं कर सकते.
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हालांकि बेल्जियम में 18 साल से कम उम्र के मरीज़ मां-बाप की अनुमति के साथ आवेदन कर सकते हैं.
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जिन देशों ने इच्छामृत्यु को लीगल किया है उनमें से ज़्यादातर देशों में 18 साल से कम उम्र के मरीज़ों को आवेदन करने की अनुमति नहीं है.
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