मुक्ती मिल जाती है





राम राम जी मेरा एक दोस्त कुछ समय से मुझसे हफते में एक दिन नहीं 
मिलता और रोज मिलता था मैने पूछा उस दिन कहां जाते हो तो बह बोला उस दिन में आश्रम जाता हूँ मैने पूछा किसलिये बह बोला बहां जाने से मुक्ती मिल जाती है मैने पूछा क्या बो मुक्ती के ड़ीलर हैं य़ा उनके पास मुक्ती की डीलर शिप है तुझे किस चीज की मुक्ती चाहिए आत्मा तो हमारी खुद ही मुक्त है और जब आत्मा शरीर छोड़ती है तब शरीर भी मुक्त हो जाता है क्योंकि उसके पंच ततब अपने में मिल जाते हैं हमको केबल अपने मन की मुक्ती की ज़रूरत होती है ज़िसमें कुछ भी बाकी न रहे मैने कहा तेरे मन को तो बह मुक्त कर सकता है ज़िसका खुद का मन मुक्त हो बिद्धवान लोग कहते हैं कि काम ,क्रोध ,लोभ ,मद की जिसके चित्त में खान बह पंडित हो य़ा मूर्ख दोनों एक समान मैने उससे कहा कि काम बाले कई आश्रमधारी को सरकार ने एक जगह एकत्र कर दिया है इनका क्रोध तब देखना जब इनके भाषण करते समय इनके सामने से कोई बार बार निकले य़ा बीच में कोई बार बार खड़ा हो जाये मोह तो मन में इतना कि आश्रम बड़ा करने की चिंता आश्रम की गिनती बढाने की चिंता भक्तों को बढाने की चिंता कुछ अबसरोँ पर तो भक्तों को बढाने के लिए सड़को पर भी बैनर लगाने की नौबत और इन सब गुडो के साथ मद तो फिरी में मिलता है मैने कहा अब आप खुद ही सोचो कि बहां जाकर तेरा मन मुक्त हो सकता है क्या इसके लिए तो घर पर ही गीता जी का पाठ करना पड़ेगा

Comments