देहरादून का इतिहास।

1811ई,में3005रुपये में बिका था।
1636ई,मेंमुगल सेनापति नवाज़त खाँ और रानी कर्णावती के बीच देहरादून मेंयुद्ध हुआ।
1638ई,में राजा ब्रह्मदत्त के साथ युद्ध हुआ।
1674ई,से पहले देहरादून का नाम पृथ्वीपुर था।
1676ई,में मुगल सम्राट औरंगजेब नें दहरादून क्षेत्र गरुराम राय को दे दिया।
1757मेंनजीबुदौला ने टेहरीनरेश को हरा कर हासिल किया।
1803ई0 में गोरखों ने देहरादून पर कब्जा किया।
1803ई0 14मई को खुड़बुड़ा देहरादून में गोरखा सेना लड़ते हुए गढवाल नरेश प्रदुमन शाह बीरगति को प्राप्त हुए थे।
1811ई0 में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने कैप्टेन हरसी यंग को देहरादून हस्तगत किया।
1814ई0 में कैप्टन हरसी ने देहरादून100₹0मासिक लीज़ पर ईस्टइंडिया कम्पनी को दे दिया।1815ई0में अंग्रेजों ने गोरखों को भगाकर देहरादून हथिया लिया
1823ई0 में पलटन बाजार बना,इसके दोंनों तरफ पलटन रहती थी।
1823ई0 में अंग्रेजों ने देहरादून को अपने ढंग से बसाया।
1840ई0 में चीन से लाया लीची का पौधा लगाया।1842ई0में अफगान शासक अमीरदोस्त द्वारा अफगान स्तान से बासमती बोई गयी।
1842ई0 मेंदून में डाक सेवा शुरु हुई।
1850ई0 मेंदूनस्थित ईस्ट कैनाल रोड बनी।
1854ई0में मिशन स्कूल खोला गया।
1857ई0 में डा,जानसन द्वारा चाय बाग लगाया गया।
1863ई0 में दून स्थित शिवाज़ी धर्मशाला में पहलीबार राम लीला का बिराट मंचन किया गया।
1867ई0 में नगर पालिका बनी।
1868ई0 में चकराता,1873ई0मेंसहारनपुर रोड़ 1892ई0में रायपुर रोड़ बनी।
18671ई0 में दून जिला बना।
1889ई0 मेंनाला पानी सेदून को जलापूर्ति हुई।
1901ई0में दून रेलसेवा आरंम्भ हुई।
1902ई0में महादेवी पाठशाला ,और1904ई0में डीएबी कालेज आरंम्भ हुये।1916 ई0में बिद्युतआपूर्तिहुई।
1918ई0मेंओलम्पिया और ओरएन्ट सिनेमा घर खुले।
1920ई0में लोगों पहली बार कार देखी।
1929ई0 में गाँधी जी ने तिलक रोड़ पर बनिता आश्रम की आधारशिला रखी।
1930ई0 में देहरादून मसूरी मोटर मार्ग बना।
1923ई0 में रेडियो स्टेशन खुला,1929 ई0में बंन्द हुआ
,2018ई0में फिर आरंम्भ होगया है।1939ई0 तक दून मेंकेवल दो कारें थी।
1944ई0में लाला मंन्शाराम नें58बीघा जमीन मेंकनाटप्लेश बनवाया।
1947ई0में जातीय उपद्रब हुआ।
1948ई0 मेंप्रेमनगर औरक्लेमनटाउन सिटी बस सेवा शुरू हुई।
1948ई0 से1953ई तक आनंदसिंह ने अपने पिता बलबीरसिंहकी याद ने घंण्टाघर बनाया।1978ई0में वायु सेवा शुरूहुई।क्रमश,,,्

1811ई,में3005रुपये में बिका था।
1636ई,मेंमुगल सेनापति नवाज़त खाँ और रानी कर्णावती के बीच देहरादून मेंयुद्ध हुआ।
1638ई,में राजा ब्रह्मदत्त के साथ युद्ध हुआ।
1674ई,से पहले देहरादून का नाम पृथ्वीपुर था।
1676ई,में मुगल सम्राट औरंगजेब नें दहरादून क्षेत्र गरुराम राय को दे दिया।
1757मेंनजीबुदौला ने टेहरीनरेश को हरा कर हासिल किया।
1803ई0 में गोरखों ने देहरादून पर कब्जा किया।
1803ई0 14मई को खुड़बुड़ा देहरादून में गोरखा सेना लड़ते हुए गढवाल नरेश प्रदुमन शाह बीरगति को प्राप्त हुए थे।
1811ई0 में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने कैप्टेन हरसी यंग को देहरादून हस्तगत किया।
1814ई0 में कैप्टन हरसी ने देहरादून100₹0मासिक लीज़ पर ईस्टइंडिया कम्पनी को दे दिया।1815ई0में अंग्रेजों ने गोरखों को भगाकर देहरादून हथिया लिया
1823ई0 में पलटन बाजार बना,इसके दोंनों तरफ पलटन रहती थी।
1823ई0 में अंग्रेजों ने देहरादून को अपने ढंग से बसाया।
1840ई0 में चीन से लाया लीची का पौधा लगाया।1842ई0में अफगान शासक अमीरदोस्त द्वारा अफगान स्तान से बासमती बोई गयी।
1842ई0 मेंदून में डाक सेवा शुरु हुई।
1850ई0 मेंदूनस्थित ईस्ट कैनाल रोड बनी।
1854ई0में मिशन स्कूल खोला गया।
1857ई0 में डा,जानसन द्वारा चाय बाग लगाया गया।
1863ई0 में दून स्थित शिवाज़ी धर्मशाला में पहलीबार राम लीला का बिराट मंचन किया गया।
1867ई0 में नगर पालिका बनी।
1868ई0 में चकराता,1873ई0मेंसहारनपुर रोड़ 1892ई0में रायपुर रोड़ बनी।
18671ई0 में दून जिला बना।
1889ई0 मेंनाला पानी सेदून को जलापूर्ति हुई।
1901ई0में दून रेलसेवा आरंम्भ हुई।
1902ई0में महादेवी पाठशाला ,और1904ई0में डीएबी कालेज आरंम्भ हुये।1916 ई0में बिद्युतआपूर्तिहुई।
1918ई0मेंओलम्पिया और ओरएन्ट सिनेमा घर खुले।
1920ई0में लोगों पहली बार कार देखी।
1929ई0 में गाँधी जी ने तिलक रोड़ पर बनिता आश्रम की आधारशिला रखी।
1930ई0 में देहरादून मसूरी मोटर मार्ग बना।
1923ई0 में रेडियो स्टेशन खुला,1929 ई0में बंन्द हुआ
,2018ई0में फिर आरंम्भ होगया है।1939ई0 तक दून मेंकेवल दो कारें थी।
1944ई0में लाला मंन्शाराम नें58बीघा जमीन मेंकनाटप्लेश बनवाया।
1947ई0में जातीय उपद्रब हुआ।
1948ई0 मेंप्रेमनगर औरक्लेमनटाउन सिटी बस सेवा शुरू हुई।
1948ई0 से1953ई तक आनंदसिंह ने अपने पिता बलबीरसिंहकी याद ने घंण्टाघर बनाया।1978ई0में वायु सेवा शुरूहुई।क्रमश,,,्
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