बस यही माया है

कष्टों का
           दर्द
बहुत ही कष्टकारी होता है ।
जीवन है ही ऐसा।


















कभी कभी कष्ट का ज्वार भाटा
जीवन तरंगों को उद्वेगित कर ही देता है ।
वैसे तो जीवन में कष्ट हजारों ही होंगे।
पर सबसे बड़ा कष्ट होता है
धन का अभाव ।
कहीं बिज़नेस नहीं चल रहा तो
कहीं नौकरी नहीं।
रोजगार न होने का कष्ट किसी
कांटे की तरह चुभता है।
इस पर भी अगर कर्ज भी लिया हो तो कर्ज का घाव जख्मों को और हरा कर देता है ।
फिर जीवन में रस आएभी तो कैसे ?
बस यही माया है ।
जब कर्ज बढ़ने लगता है और
व्यापार , रोजगार , नोकरी में परेशानी के अंधेरे छाने लगते हैं तो प्राकृतिक तौर पर इंसान मायूस होने लगता है ।
ऐसे में इंसान इन कष्टों से छुटकारा पाने को व्याकुल हो उठता है ।
वैसे तो जन्म कुंडली का विश्लेषण किसी अच्छे ज्योतिषी से करा लेने से और सही उपाए हो जाने से बहुत कुछ ठीक होने लग जाता है, प्रन्तु यदि ज्योतिषी से मिलना  संभव न हो पा रहा हो तो एक छोटा सा उपाए सरकारी सेवा में और सरकारी अफसरों से आई परेशानियों को काफी ठीक कर देता है।
किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम इतवार को ताँबे का ऐसा छल्ला या अंगूठी, आप गंगाजल में पवित्र कर के सूर्य को प्रणाम करने के पश्चात गले में  धारण कर लें।
लाल डोरी में डाल कर ही इसे धारण करना है ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
मंत्र का एक माला कम से कम जाप अवश्य करें ।
भगवान सूर्य देव की कृपा से बहुत कुछ बदलने लगेगा ।
जय सूर्य देव ।
परंतु व्यापार में आई कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपनी कुंडली के एकादश भाव  के स्वामी का रतन धारण करने से लाभ होने लगता है ।
कुंडली न हो आप पुखराज धारण कर सकते हैं क्योंकि यह बृहस्पति का रत्न होता है और बृहस्पति को एकादश भाव का कारक माना गया है।
 जय भवानी ।
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