संतान को बिगड़ने से बचने के उपाय क्या है ?*
जब बच्चे माता पिता की बात नहीं सुनते न हैं, बात नहीं मानते, जिद करते हैं या पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं तो माता-पिता को चिंता होना स्वाभाविक है।
कहा जाता है कि बच्चे बचपन में शैतानी नहीं करेंगे तो क्या बड़े लोग करेंगे ?
बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार के साथ-साथ उनके शारीरिक, मानसिक विकास के लिए सभी अभिभावकों को कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चहिये |
मगर जब ये शैतानी सीमा पार करने लगती है और स्वयं को और दूसरों को कष्ट देने लगती है तो माता-पिता का चिंता बड जाती है। आज-कल के बदलते परिवेश में जहाँ माता पिता के पास संतान के लिए समय कम होता जा रहा है वहीं पर आज-कल बच्चे भी शैतान होते जा रहे है|
5 साल से छोटी उम्र के बच्चे सामान्य शैतानी की सीमा लाँघ कर, कभी-कभी अपनी बात मनवाने के लिए हाथ उठाना या अभद्र भाषा (गाली) का उपयोग करने लग जाते हैं |
और कई बार ऐसा भी हो जाता है की उनकी बात ना मानने पर वो खुद को या किसी और को चोट तक पहुँचा देते हैं|
और कई बार ऐसा भी हो जाता है की उनकी बात ना मानने पर वो खुद को या किसी और को चोट तक पहुँचा देते हैं|
आप अपने बच्चे को वापस अपने जीवन में लाना चाहते हैं तो फिर एक दिन जिस समय गर्मी का मौसम हो, आप सवेरे ही नहा-धो लें और पूजा पाठ कर लें, साफ़ कपडे धारण कर लें। अब आप ऐसा करें की तीन इलाइची लें और उन्हें अपने और अपने बच्चे के बदन से स्पर्श कराने के बाद शुक्रवार के दिन उसे कहीं पे बाँध कर रख दें।
आप यदि साड़ी में पान या पैसे बांधती हैं तो उसी में बाँधकर रख लें और अगर नहीं तो रुमाल लें और उसमें बाँध कर रख दें।
जब अगला दिन शुरू हो तो फिर आप प्रातः काल उठ जाएं और नहा लें और पूजा-पाठ कर लें फिर आप उन तीन इलाइचियों को किसी सिल-बट्टे पर पीस लें और किसी भी पकवान में मिला कर अपने बेटे को खिला दें। ऐसा कम से कम तीन शनिवारों को करने पर आप पाएंगे की आपका बच्चा आप की ओर पुन: खिंचता चला आ रहा है। वह स्वमं आप और अपनेआप के बीच की दूरी हटाना चाहेगा, वह अपनी मम्मी की बाते सुनने के लिए फिर से उत्सुक रहेगा।
चन्द्रमा के दो पक्ष होते हैं – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। इन दो पक्षों में से जब शुक्ल पक्ष चल रहा हो तब आप आने वाले रविवार के दिन 4 लौंग लें और उन्हें अपने शरीर के ऐसे स्थान पर छुआ लें जहाँ पर आपका पसीना टपक रहा हो, यह ध्यान रहे की जगह साफ़ सुथरी हो, कोई बीमारी नहीं हो जानी चाहिए|
अब आप इन 4 लौंगों को सुखाकर पीस कर चूर्ण बना लें और दूध, कॉफ़ी, चाय या किसी और काढ़े आदि में बच्चे को पिला दें। वह थोड़े समय के पश्चात् आपका कहा मानने लगेगा।
अब आप इन 4 लौंगों को सुखाकर पीस कर चूर्ण बना लें और दूध, कॉफ़ी, चाय या किसी और काढ़े आदि में बच्चे को पिला दें। वह थोड़े समय के पश्चात् आपका कहा मानने लगेगा।
और आप पाएंगे की आपकी संतान में संतुलन आने लगेगा, आपकी संतान आपकी बातों को सुनेगी भी और सुनने के बाद उस पर अमल भी करने लगेगी। आप पाएंगे की लोगों की बातों पर वह ज़्यादा ध्यान नहीं देगा और आपकी कही छोटी से छोटी चीज़ को वह ध्यान पूर्वक मानेगा, जब वह आपकी बात सुने तो आप सबसे अच्छी सलाह ही दीजियेगा।
संतान की जिद को काबू करने का उपाय-
आप यह पता कर लें की वह कौन लोग हैं जिन्होंने आपके बच्चे को गुमराह कर रखा है,
उनका नाम जान लें और उनके इरादों का खराब होना पक्का कर लें, उसके बाद एक तांबे का टुकड़ा लें और उसपे लाल चन्दन से उसका या उनका नाम लिख दें। अब इस टुकड़े को शहद के एक डिब्बे में रख दें,
उनका नाम जान लें और उनके इरादों का खराब होना पक्का कर लें, उसके बाद एक तांबे का टुकड़ा लें और उसपे लाल चन्दन से उसका या उनका नाम लिख दें। अब इस टुकड़े को शहद के एक डिब्बे में रख दें,
उस डिब्बे में शहद होना चाहिए क्यूंकि उसमें डूबे रहने से ही इस कार्य में सफलता प्राप्त होती है। यह कार्य करने से जो आपके बच्चे को भटका रहा है वह आपके वश में आ जायेगा और आप पाएंगे की वह मनुष्य आपके बच्चे से दूर जा रहा है। आप पाएंगे की बच्चा आपकी बातें वापस सुनने लगा है और आपकी ओर वापस खिंचा चला आ रहा है।
यह अत्यंत ही सरल और सहज उपाय है। यह उपाय बहुत ही अच्छा और असरकार है।
इसे करने से आप पाएंगे की लोग जो आपके बच्चे को बहकाने शत्रु बनकर आये हैं दूर हो रहे हैं और जो मित्र बनकर आये हैं आगे आ रहे हैं और उसे सही दिशा में ले जा रहे हैं।
आप पाएंगे की आपका खोया हुआ बच्चा वापस आपकी तरफ चल पड़ा है।
आप पाएंगे की आपका खोया हुआ बच्चा वापस आपकी तरफ चल पड़ा है।
छोटा सा उपाय ये भी है-
एक चांदी का छोटा-सा टुकड़ा लें, उसे अपने बच्चे के हाथ में पकड़वा दें और साथ में नदी, या किसी और बहते पानी के स्रोत पर ले जाएं। उससे वहां उस टुकड़े को नदी या उस पानी के स्रोत में वो चांदी का टुकड़ा बहा दें। यह कार्य जितना सहज है उतना ही कारगर भी है।
एक चांदी का छोटा-सा टुकड़ा लें, उसे अपने बच्चे के हाथ में पकड़वा दें और साथ में नदी, या किसी और बहते पानी के स्रोत पर ले जाएं। उससे वहां उस टुकड़े को नदी या उस पानी के स्रोत में वो चांदी का टुकड़ा बहा दें। यह कार्य जितना सहज है उतना ही कारगर भी है।
एक ओर उपाय ये भी है-
बैजयंति माला एक बहुमूल्य वस्तु है, इसको आप कहीं से प्राप्त कर लें और स्वमं धारण कर लें, इसके बाद उस माला को पहन कर आप जिससे भी मिलेंगे वह आपके वश में हो जायेगा क्यूंकि माला किसी को मोह लेने की शक्ति रखती है। यह माला कृष्ण भगवन के पास भी थी, वह उसे हमेशा पहने रहते थे और उन्हें यह अत्यंत प्रिय हैं
बैजयंति माला एक बहुमूल्य वस्तु है, इसको आप कहीं से प्राप्त कर लें और स्वमं धारण कर लें, इसके बाद उस माला को पहन कर आप जिससे भी मिलेंगे वह आपके वश में हो जायेगा क्यूंकि माला किसी को मोह लेने की शक्ति रखती है। यह माला कृष्ण भगवन के पास भी थी, वह उसे हमेशा पहने रहते थे और उन्हें यह अत्यंत प्रिय हैं
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