दिवाली की रात में कहां-कहां दीपक लगाने चाहिए। *
* 🏿1- पीपल के पेड़ के नीचे दीपावली की रात एक दीपक लगाकर घर लौट आओ। दीपक लगाने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने पर आपकी धन से जुड़ी समस्याएं हो सकता है। *
* 🏿2- अगर संभव हो तो दिवाली की रात के समय किसी श्मशान में दीपक। यदि यह संभव है हो तो कोई सुनसान इलाके में स्थित मंदिर में दीपक लगाया जाता है। *
* 🏿3- धन प्राप्ति की कामना करने वाले व्यक्ति को दीपावली की रात मुख्य दरवाजे की चौखट के साथ दीपक अवश्य लगाना चाहिए। *
* 🏿4- हमारे घर के आसपास के चौराहे रात रात के समय दीपक लगाना चाहिए। ऐसा करने पर पैसों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। *
* 🏿5- घर के पूजन स्थल में दीपक, जो पूरी रात बुझना नहीं चाहिए। ऐसा करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। *
* 🏿6- कोई बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे दीपावली की शाम दीपक। बिल्व पत्र भगवान शिव का प्रिय वृक्ष है। अत: यहां दीपक लगाने पर उनके कृपा प्राप्त होता है। *
* 🏿7- घर के आसपास जो भी मंदिर हो रात रात के समय दीपक अवश्य। इससे सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। *
* 🏿8- घर के आंगन में भी दीपक लगाना चाहिए। ध्यान रखें यह दीपक भी रातभर बुझना नहीं चाहिए। *
* 🏿9- घर के पास कोई नदी या ताल हो तो बहा पर रात के समय दीपक अवश्य। इस से दोषो से मुक्ति मिलती है! *
* 🏿10- तुलसी जी और के पेड़ और सालिग्राम के पास रात के समय दीपक अवश्य। ऐसा करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। *
* 🏿11- पित्रो का दीपक गया तीर्थ के नाम से घर के दक्षिण में लगाये! इस से पितृ दोष से मुक्ति मिलती तरलक्ष्मी प्राप्ति के सूत्र: - *
* प्रत्येक गृहस्थ इन सूत्रों-नियमों का पालन कर जीवन में लक्ष्मी कोयलेयत प्रदान कर सकते हैं। आप भी अवश्य अपनाएं - *
* 🏿1। जीवन में सफल रहना है या लक्ष्मी को स्थापित करना है तो प्रत्येक दशा में सर्वप्रथम दरिद्रता विनाशक प्रयोग करना ही होगा। यह सत्य है की लक्ष्मी धनदात्री हैं, वैभव प्रदायक हैं, लेकिन दरिद्रता जीवन की एक अलग स्थिति होती है और उस स्थिति का विनाश अलग तरीके से सर्वप्रथम करना आवश्यक होता है। *
* 🏿2। लक्ष्मी का एक विशिष्ट स्वरूप है "बीज लक्ष्मी"। एक वृक्ष की भांति एक छोटा से बीज में सिमट जाता है - लक्ष्मी का विशाल स्वरूप। बीज लक्ष्मी साधना में भी नीचे आया है भगवती महालक्ष्मी के पूर्ण स्वरूप के साथ जीवन में उन्नति का रहस्य। *
* 🏿3। लक्ष्मी समुद्र तनया है, समुद्र से उत्पत्ति है, और समुद्र से प्राप्त विविध रत्न सहोदर हैं, उनके दक्षिणवर्ती शंख हो या मोती शंख, गोमती चक्र, स्वर्ण पात्र, कुबेर पात्र, लक्ष्मी सूत्रम क्षिरोदभव, वर-वरद, लक्ष्मी चैतन्य सभी उनके भक्तों में वे हैं और इनकी गृह में उपस्थिति आहितित है, लक्ष्मी को विवाश कर देता है उन्हें घर में स्थापित कर देने के लिए। *
* 🏿4। समुद्र मंथन में प्राप्त कर रत्न "लक्ष्मी" का वरण अगर किसी ने किया तो वे साक्ष भगवान विष्णु। आप पति की अनुपस्थिति में लक्ष्मी किसी घर में झांकने तक की कल्पना नहीं कर रहीं और भगवान वि विष्णु की उपस्थिति का प्रतीक है शालिग्राम, अनंत महायंत्र और शंख। शंख, शालिग्राम और तुलसी का वृक्ष - इनसे मिलकर बनता है पूर्ण रूप से भगवान लक्ष्मी - नारायण की उपस्थिति का वातावरण। *
* 🏿5। लक्ष्मी का नाम कमला है। कमल बेटे आंखे हैं या उनके आसन कमल ही है और बाकी प्रिय है - लक्ष्मी को पदनाम। कमल - गट्टे की माला स्वयं धारण करना आधार और आसन देना है लक्ष्मी को शरीर में लक्ष्मी को समाहित करने के लिए। *
* 🏿6। लक्ष्मी की पूर्णता घट है विघ्न विनाशक श्री गणपति की उपस्तिथि से जो मंगल कर्ता है और हर साधना में पहले पूज्य। भगवान गणतंत्र के किसी भी विवाद की स्थापना किए बिना लक्ष्मी की साधना तो ऐसा है, जियो कोई अपना धन भंडार भरकर उसे खुला छोड़ दें। *
* 🏿7। लक्ष्मी का वास वही सम्भव है, जहां व्यक्ति सदैव प्रारंभिकिप में वेशभूषा में रहना, स्वच्छ और पवित्र और आंशिक रूप से निर्मल हो। गंदे, मैले, असभ्य और बक्वार्ड व्यक्तियों के जीवन में लक्ष्मी का वास संभवतः नहीं। *
* 🏿8। लक्ष्मी का आगमन होता है, जहां पौधे हो, जहां उद्यम हो, जहां गतिशीलता हो। उद्यमशील व्यक्तित्व ही प्रतिरूप होता है भगवान श्री श्री नारायण का, जो हर क्षण गतिशील है, अन्याय में संलग्न है, ऐसे व्यक्तियों के जीवन में संलग्न है। ऐसे ही व्यक्तियों के जीवन में लक्ष्मी गृहलक्ष्मी बनकर, संतान लक्ष्मी बनकर आय, यश, श्री कई-कई रूपों मे प्रकट होता है। *
* 🏿 9। जो साधक गृहस्थ है, उन्हें अपने जीवन मे हवन को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए और प्रत्येक माह की शुक्ल पंचमी को श्री सूट के पदों से एक कमल गट्टे का बीज और शुद्ध घृणा के द्वारा आहुति प्रदान करना फलदायक होता है। *
* 🏿10। आप दैनिक जीवन क्रम में नित्य महालक्ष्मी की किसी भी साधना - विधि को सम्मिलित करना है, जो आपके अनुकूल हो, और यदि इस विषय में निर्णय - अनिर्णय की स्थिति हो तो नित्य प्रति, सूर्योदय काल में निम्न मन्त्र की एक माला का मंत्र जप तो कमल गट्टे की माला से अवश्य करना चाहिए। *
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