4 राशियों की 15-15 खास बातें

सभी 4 राशियों की 15-15 खास बातें।

★★★★★★★★★★★★★★★
मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
राशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल।
1. राशि चक्र की सबसे पहली राशि मेष है। यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का चिह्न मेढ़ा संघर्ष का प्रतीक है।
2. मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं। इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है। दिखने में सुंदर होते हैं। यह लोग किसी के दबाव में काम करना पसंद नहीं करते। इनका चरित्र साफ-सुथरा एवं आदर्शवादी होता है।
3. बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं। समाज में इनका वर्चस्व होता है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
4. निर्णय लेने में जल्दबाजी करते हैं तथा जिस काम को हाथ में लिया है, उसे पूरा किए बिना पीछे नहीं हटते।
5. इनके स्वभाव में कभी-कभी लापरवाही भी आ जाती है। लालच करना इस राशि के लोगों के स्वभाव मे नहीं होता। दूसरों की मदद करना इन्हें अच्छा लगता है।
6. इनकी कल्पना शक्ति की अच्छी रहती है। सोचते बहुत ज्यादा हैं।
7. जैसा खुद का स्वभाव है, वैसी ही अपेक्षा दूसरों से भी करते हैं। इस कारण कई बार धोखा भी खाते हैं।
8. इन्हें गुस्सा बहुत जल्दी आता है। किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की आदत होती है।
9. अपना अपमान जल्दी नहीं भूलते हैं, मन में दबा के रखते हैं। मौका मिलने पर बदला लेने से नहीं चूकते।
10. अपनी जिद पर अड़े रहना भी मेष राशि का स्वभाव है। इनके भीतर एक कलाकार छिपा होता है।
11. ये लोग हर काम करने में सक्षम हो सकते हैं। स्वयं को श्रेष्ठ समझते हैं।
12. अपनी मर्जी के अनुसार ही दूसरों से काम करवाना चाहते हैं। इस कारण इनके कई दुश्मन खड़े हो जाते हैं।
13. एक ही काम को बार-बार करना इस राशि के लोगों को पसंद नहीं होता।
14. एक ही जगह ज्यादा दिनों तक रहना भी अच्छा नहीं लगता है। नेतृत्व क्षमता अच्छी होती है।
15. कम बोलना, जिद करना इनका स्वभाव है। कभी-कभी प्रेम संबंध में दुखी भी रहते हैं।
★★★★★★★★★★★★★★★
वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
राशि स्वरूप- बैल जैसा 
राशि स्वामी- शुक्र।
राशि परिचय
1. इस राशि का चिह्न बैल है। बैल अधिक पारिश्रमी और ताकतवर होता है, साधारणत: ये जीव शांत भी रहता है, लेकिन गुस्सा आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। इसी प्रकार का स्वभाव वृष राशि का भी होता है।
2. वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं।
3. सरकारी ठेकेदारी का काम करवाने की योग्यता इस राशि के लोगों में रहती है।
4. इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, व्यक्ति का मन सरकारी कामों की ओर रहता है।
5. पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा धन कमाने का साधन होता है। इन लोगों को मसालेदार भोजन अधिक पसंद होता है।
6. इन लोगों के पास ज्ञान अधिक होता है, जिससे अहम का भाव इनके स्वभाव में आ जाता है। ये लोग जब भी कोई बात करते हैं तो स्वाभिमान की बात करते हैं।
7. सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और सरकारी काम इनको आकर्षित करते हैं।
8. यदि कुंडली में केतु का बल मिल जाता है तो व्यक्ति शासन में मुख्य अधिकारी बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से व्यक्ति के अंदर मानसिक गर्मी बढ़ती है।
9. कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का काम ये लोग कर सकते हैं। इनकी माता के जीवन में परेशानियां ज्यादा होती हैं।
10. ये लोग सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं। कला के क्षेत्र में नाम कमाते हैं।
11. माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण में तालमेल लाता है। ये लोग अपने जीवनसाथी के अधीन रहना पसंद करते हैं।
12. चन्द्र-बुध के कारण इन लोगों को संतान के रूप में कन्या मिल सकती है। माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है।
13. इनके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाते हैं।
14. हमेशा दिमाग में कोई योजना बनती रहती है। कई बार खुद के षडयंत्रों में खुद ही फंस भी जाते हैं।
15. रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है, इस कारण इनके मन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है।
★★★★★★★★★★★★★★★
मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
राशि स्वरूप- स्त्री-पुरुष आलिंगनबद्ध, राशि स्वामी- बुध।
1. यह राशि चक्र की तीसरी राशि है। राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है।
2. मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के स्वामी मंगल-शुक्र हैं। मंगल शक्ति और शुक्र माया का प्रतीक है।
3. शुक्र के कारण ये लोग जीवनसाथी के लिए हमेशा शक्ति बन रहते हैं, कभी-कभी घरेलू कारणों से आपस में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
4. यदि इनकी कुंडली में मंगल और शुक्र की युति है तो इन लोगों में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है।
5. ये लोग वाहनों की अच्छी जानकारी रखते हैं। नए-नए वाहनों और सुख के साधनों के प्रति अत्यधिक आकर्षण होता है। इनका घरेलू साज-सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है।
6. मंगल के कारण व्यक्ति वचनों का पक्का बन जाता है।
7. गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का शिष्य है। कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति से इस राशि के लोगों में ईश्वर की भक्ति को बढ़ाते हैं।
8. इस राशि के लोगों में ब्रह्माण्ड को समझने की योग्यता होती है। ये लोग वायुयान और सैटेलाइट के बारे में ज्ञान बढ़ाते हैं।
9. यदि कुंडली में राहु-शनि एक साथ हैं तो व्यक्ति की शिक्षा और शक्ति बढ़ती रहती है। व्यक्ति का कार्य शिक्षा स्थानों में या बिजली, पेट्रोल या वाहन वाले कामों की ओर होता है।
10. व्यक्ति एक दायरे में रह कर ही काम कर पाते हैं और पूरा जीवन लाभ प्राप्त करते हैं। व्यक्ति के अंदर एक मर्यादा होती है जो उसे धर्म में बांधे रखती है। व्यक्ति सामाजिक और धार्मिक कार्यों में लगा रहता है।
11. यदि कुंडली में गुरु और मंगल एक साथ हों तो व्यक्ति अपने क्षेत्र में उच्च शिखर तक पहुंच सकता है।
12. व्यक्ति अपने ही विचारों में उलझता है। मिथुन राशि पश्चिम दिशा की प्रतीक है। इसका स्वामी बुध है।
13. बुध की धातु पारा है और इसका स्वभाव जरा-सी गर्मी-सर्दी में ऊपर नीचे होने वाला है। यही स्वभाव इन लोगों का भी होता है। दूसरे की मन की बातें पढ़ने, दूरदृष्टि, बहुमुखी प्रतिभा, अधिक चतुराई से कार्य करने की क्षमता होती है।
14. व्यक्ति को बुद्धि वाले कामों में सफलता मिलती है। वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं।
15. हर काम में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग जांच-पड़ताल में भी सफल होते हैं। ये लोग पत्रकार, लेखक, भाषाओं की जानकारी रखने वाले, योजनाकार भी बन सकते हैं।
★★★★★★★★★★★★★★★
कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
राशि स्वरूप- केकड़ा, राशि स्वामी- चंद्रमा।
1. ये राशि चक्र की चौथी राशि है। इस राशि का चिह्न केकड़ा है। यह चर राशि है।
2. राशि स्वामी चन्द्रमा है। इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अंतिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं।
3. कर्क राशि के लोग कल्पनाशील होते हैं। कुंडली में शनि-सूर्य एक साथ हों तो व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और व्यक्ति में अहम की भावना बढ़ाते हैं।
4. जिस स्थान पर भी ये लोग काम करने की इच्छा करते हैं, वहां परेशानी ज्यादा मिलती है।
5. कुंडली में शनि-बुध की युति व्यक्ति को होशियार बना देती है। कुंडली में शनि-शुक्र की युति से व्यक्ति को धन प्राप्त होता है।
6. शुक्र व्यक्ति को सजने-संवरने की कला देता है और शनि अधिक आकर्षण देता है।
7. व्यक्ति उपदेशक बन सकता है। कुंडली में बुध की अच्छी स्थिति से गणित की समझ और शनि से लिखने का प्रभाव बढ़ता है। कम्प्यूटर के कामों में व्यक्ति को सफलता मिलती है।
8. व्यक्ति श्रेष्ठ बुद्धि वाला, जल मार्ग से यात्रा पसंद करने वाला, ज्योतिषी, सुगंधित पदार्थों का का काम करने वाला होता है। वह मातृभक्त होता है।
9. केकड़ा जब किसी चीज या जीव को अपने पंजों में जकड़ लेता है तो उसे आसानी से छोड़ता नहीं है। उसी तरह ये लोग भी अपने लोगों को तथा अपने विचारों को आसानी से छोड़ते नहीं हैं।
10. यह भावना उन्हें ग्रहणशील, एकाग्रता और धैर्य के गुण प्रदान करती है।
11. इनका मूड बदलते देर नहीं लगती है। कल्पनाशक्ति और स्मरण शक्ति बहुत तेज होती है।
12. उनके लिए अतीत का महत्व होता है। मित्रता को जीवन भर निभाना जानते हैं, अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं।
13. ये सपना देखने वाले होते हैं, परिश्रमी और उद्यमी होते हैं।
14. व्यक्ति बचपन में दुर्बल होते हैं, लेकिन आयु के साथ-साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है।
15. इन लोगों को भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।



Comments