त्रिफला आयुर्वेद की बहुप्रचलित औषधि है. अधिकांश लोगों ने


त्रिफला आयुर्वेद की बहुप्रचलित औषधि है. अधिकांश लोगों ने कभी न कभी इसका प्रयोग किया होगा. हरड, बहेड़ा और आंवला का यह चूर्ण सामान्य रूप से लोग कब्ज के लिये ही इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह केवल कब्ज ठीक करने की ही औषधि नहीं है. आयुर्वेद में इसे कायाकल्प करने वाला योग बताया गया है.

वैसे तो त्रिफला को पानी के साथ ही लेते हैं लेकिन अनुपान भेद से यह कई बीमारियों की उत्कृष्ट औषधि बन जाती है ........





(1) नये और मन्द (हलके) ज्वर में तीन चार ग्राम त्रिफला चूर्ण को एक चुटकी छोटी पिप्पल के साथ मिलाकर लेने से ठीक हो जाता है

(2) चौथे दिन आने वाला ज्वर के लिये त्रिफला को दूध के साथ प्रतिदिन सोते समय एक बार लेना चाहिये.

(3) सूखी खांसी होने पर त्रिफला तीन ग्राम देशी घी तीन ग्राम शहद दस ग्राम मिलाकर चाटें.

(4) पेट के रोगों में त्रिफला चूर्ण शहद मिश्रित जल के साथ त्रिफला प्रतिदिन लें.

(5) मूत्र के साथ झाग आने की समस्या को आयुर्वेद में फेनमेह कहा गया है , अमलतास का गूदा और त्रिफला बराबर मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर सेवन करें और इसके ऊपर मुनक्का उबाल कर घोटा कर क्वाथ बनाकर पिये. मूत्र से झाग आना ठीक हो जायेगा.

(6) अंडकोष में सुजन होने पर त्रिफला को गौमूत्र या गौधन अर्क के साथ लेना चाहिये.

(7) स्वप्नदोष में त्रिफला और इसकी आधी मात्रा हल्दी को शहद के साथ मिलाकर लें.

(8) भगंदर का रोग होने पर त्रिफला को खदिर क्वाथ के साथ लेना चाहिये. खदिर क्वाथ आसानी से न मिले तो इसकी छाल लाकर उबालकर प्रयोग करें.

(9) मेदवृद्धि (ओबेसिटी) मोटापा होने पर त्रिफला के गरम क्वाथ में शहद मिलाकर पिये.

(10) किसी किसी को बेहोशी के दौरे पड़ते हैं यदि पर्याप्त जांच करा लेने पर भी निदान न हो पाये तो त्रिफला चूर्ण को शहद के साथ प्रतिदिन एक बार लम्बे समय तक देते रहें.

(11) जोड़ो में दर्द इतना हो कि नींद भी न आये तो त्रिफला के क्वाथ में शहद मिलाकर प्रतिदिन एक बार लें.

क्वाथ बनाने के लिए पांच ग्राम त्रिफला चूर्ण कांच या मिटटी के बर्तन में रात्रिपर्यंत भिगोकर रखे ,अगले दिन हलकी आंच पर उबाले और फिर छान कर प्रयोग करें.


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