मधुमेह के ज्योतिषीय कारण व निवारण
चिकित्सा विज्ञानानुसार यदि मानव शरीर में इन्सुलिन की कमी हो जाय तो उसे
मधुमेह का रोग होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुक्र ग्रह को मूत्र का
कारक माना गया है। मधुमेह रोग में शुगर मूत्र स्थान से बाहर निकलता है।
अतः शुक्र से मधुमेह रोग का विचार किया जाता है। मीठे रस का कारक ग्रह
गुरु होता है। अतः गुरु का भी विचार आवश्यक है। खाने-पीने की मीठी चीजें
देखकर यदि मन काबू में नहीं रहता तो मन के कारक चंद्रमा का विचार भी करना
चाहिये। मधुमेह रोग होने के योग - मधुमेह रोग मानव शरीर में पैंक्रियाज
पर आधारित है। यदि पैंक्रियाज सही कार्यं नहीं कर रहा है तो मधुमेह होता
है। पैंक्रियाज नाभि से ऊपर व दिल से नीचे होते हैं। इसलिये इन्हें जन्म
कुंडली के पंचम भाव से देखा जाता है। नाभि व उदर का विचार छठे भाव से
किया जाता है। मूत्रादि अंगों के सप्तम व अष्टम भाव भी विचार करना
चाहिये। - जलीय राशि कर्क, वृश्चिक व मीन तथा शुक्र की राशि वृष व तुला
को यदि दो या अधिक पापी ग्रहों ने पीड़ित कर रखा है तो इन लोगों को मधुमेह
रोग होने की आशंका अधिक होती है। - जन्मकुंडली के छठे व आठवें भाव के
पीड़ित होने, पाचन तंत्र की सिंह राशि के पीड़ित होने व मूत्र अंगों की
वृश्चिक राशि के पीड़ित होने से मधुमेह रोग होता है। - छठे भाव में गुरु
या शुक्र की स्थिति या मंगल-शुक्र की स्थिति इस बीमारी की ओर इशारा करती
है। - गुरु कमजोर स्थिति में 6, 8 या 12 भाव में हो या अपनी नीच राशि में
हो तो जातक को मधुमेह रोग की संभावना बनती है। - शुक्र छठे भाव में हो और
गुरु 12वें भाव में हो तो भी मधुमेह रोग हो सकता है। - छठे भाव का स्वामी
12वें भाव में हो व द्वादशेश का संबंध गुरु से बन रहा हो तो भी मधुमेह
रोग हो सकता है। - गुरु ग्रह कुंडली में शनि व राहु दोनों से पीड़ित हो। -
गुरु ग्रह अस्त हो व राहु/केतु अक्ष पर हो। - गुरु ग्रह यदि राहु के
नक्षत्र में हो और राहु से दृष्ट भी हो। - यदि गुरु व शनि की युति बहुत
नजदीक अंशों पर हो रही हो अर्थात दोनों एक ही नवांश में हों। - यदि शुक्र
व गुरु या चंद्र व गुरु पीड़ित हों। - जब गुरु ग्रह शनि की राशि में हो व
अशुभ ग्रह से दृष्ट हो। - लग्न किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित हो व गुरु भी पाप
ग्रह से पीड़ित हो। - जब राहु का संबंध अष्टमेश से आठवें भाव में या
त्रिकोण में बन रहा हो। - शनि का संबंध चंद्रमा से हो या शनि ही कर्क
राशि में हो। - छठे व द्वादश भाव के स्वामियों का आपस में राशि परिवर्तन
हो रहा हो। - पंचम या पंचमेश का संबंध यदि 6, 8, 12 भाव से बन रहा हो तो
यह बीमारी हो सकती है। - कुल मिलाकर देखा जाये तो यदि शुक्र, गुरु व
चंद्रमा दूषित हों तो मधुमेह का रोग होता है तथा 5, 6, 7, 8 भावों के
अलावा सिंह, कन्या, तुला व वृश्चिक राशियों के दुष्प्रभाव में होने से
मधुमेह व मूत्रांगों से संबंधित रोग लग जाते हैं। मधुमेह रोग ठीक करने के
उपायः ऐसा देखा गया है कि गुरु के कारण हुये रोगों से मुक्ति की संभावना
अधिक होती है। सूर्य व मंगल के कारण हुये रोग आंशिक रुप से दूर होते हैं।
लेकिन शनि के कारण हुये रोगों का कोई इलाज नहीं होता। ज्योतिष ग्रंथों
में कहा गया है कि मधुमेह से पीड़ित जातक को सदा गणेश जी की उपासना करनी
चाहिये व उन्हें चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रुप में ग्रहण करना
चाहिये।उन्हें कैथ व जामुन का फल भोग के रुप में चढ़ाना चाहिए व स्वयं भी
प्रसाद के रुप में ग्रहण करना चाहिये। इससे मधुमेह रोग में अवश्य आराम
मिलता है। रात के समय दो चम्मच मेथी दाना एक गिलास पानी में डालकर रख
दें। सुबह शौच जाने से पूर्व यह पानी पी लें और मेथी दाने भी चबा लें।
इसके साथ ही बिना छीली लौकी को उबालने के पश्चात उसका आधा गिलास रस निकाल
कर एक चुटकी पिसी काली मिर्च, एक चुटकी सौंठ, तुलसी, पुदीना और आधा गिलास
पानी में मिलाकर भोजन के आधा घंटे बाद रोजाना एक बार पीते रहें। मधुमेह
रोग ठीक होने लगेगा। जामुन के पत्ते, नीम की पत्तियां, बेल के पत्ते व
तुलसी की पत्तियां इन सबको सुखा लें और इकट्ठा पीसकर रख लें। इसका एक
चम्मच चूर्ण रोजाना सुबह खाली पेट लें। 10 दिन में ही असर दिखने लगेगा।
सात आठ भिंडी को खडे़ चार हिस्सों में चीरकर एक गिलास पानी में रात को
भिगो कर रख दें और सुबह उसी पानी में भिंडी को मसल दें व पानी को छानकर
पी लें। ऐसा रोजाना करने से मधुमेह समाप्त होने लगेगा। सदा सुहागन जिसे
‘‘बारमासी’’ भी कहते हैं, उसके फूल दो प्रकार के होते हैं: सफेद व बैंगनी
रंग के। सुबह के समय बैंगनी रंग के पांच फूल एक खाली कप में उबलते पानी
में डाल दें। जब पानी पीने योग्य हो जाये तो फूलों को निचोड़कर पहले फूलों
वाला पानी और उसके बाद सादा पानी पी लें। सात दिन यह पानी पियें और फिर
सात दिन यह प्रयोग बंद कर दें। सवा दो महीने तक ऐसा करें। मधुमेह रोग का
नामो-निशान भी नहीं मिलेगा। 16 शुक्रवार पूर्ण मन से किसी मंदिर या
जरुरतमंद व्यक्ति को श्रद्धानुसार चावल का दान करें और शुक्र के मंत्रों
की एक माला जाप रोजाना करें। इस उपाय से मधुमेह रोग जाने लगता है।
प्रत्येक गुरुवार को श्रद्धानुसार पीली वस्तुओं का दान दें व गुरु के
मंत्रों की एक माला जाप रोजाना करें। ‘सरपोरवा’ की जड़ सफेद रेशमी कपड़े
में बांधकर पीड़ित व्यक्ति को अपनी दायीं भुजा पर धारण करनी चाहिये। कुछ
दिनों में ही आराम मिलने लगता है। पुष्य नक्षत्र में जामुन इकट्ठा करें
और फिर इनका सेवन रोज सुबह खाली पेट करें। इससे मधुमेह रोग ठीक होता है।
रोजाना एक चम्मच करेले के चूर्ण को सुबह एक कप बिना चीनी वाले दूध के साथ
सेवन करें। मधुमेह से आराम मिलता है। योग की जननमुद्रा में 30 मिनट
रोजाना बैठने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है। इन सबके अतिरिक्त कम से कम
2 से 3 किलोमीटर रोजाना पैदल चलने की दिनचर्या अवश्य बनानी चाहिये।
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