हर व्यक्ति मोबाइल पर तीन घंटे का समय



रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 14 से 44 वर्ष की आयु के लगभग 79 फीसदी लोग जागते समय सिर्फ 2 घंटे छोड़कर हर समय मोबाइल का किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करते रहते हैं। टेक्स्ट नेक एक ऐसी बीमारी है जिसमें गर्दन का झुकाव आगे की तरफ हो जाता है। इसमें गर्दन की हडि्डयों में बदलाव आने से उनके डैमेज होने का डर बना रहता है। 


इस बीमारी से हडि्डयां घिस जाती हैं, जिसके कारण रोगी को सिर, गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द बना रहता है। इन अंगों की मसल्स भी अकड़ जाती हैं। इस बीमारी के होने पर रोगी के पीठ के ऊपर के हिस्से में तेज दर्द होने लगता है और वहां की मसल्स में स्ट्रेस आ जाता है। रोगी को पता नहीं चल पाता कि चैट करने या लैपटॉप पर मूवी देखते समय गर्दन को झुकाए रखने से उसकी गर्दन की मसल्स को नुकसान हो रहा है और वे अकड़ती जा रही हैं।
ये हैं उपाय

जितना हो सके मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट को अपनी आंखों के सामने ही रखें। इस्तेमाल करते वक्त शरीर में दर्द होने पर पोजीशन बदल लेनी चाहिए।
कम्प्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए।
कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते वक्त टेबल और कुर्सी की ऊंचाई ठीक रखें ताकि कमर सीधी रह सके।
क्या कहते हैं आंकड़े

भारत में औसतन हर व्यक्ति मोबाइल पर तीन घंटे का समय बिताता है।
चीन के यूजर्स औसतन मोबाइल फोन पर चार घंटे तक का समय बिताते हैं।
अमेरिका में औसतन हर व्यक्ति मोबाइल पर पांच घंटे का समय बिताता हैहर व्यक्ति मोबाइल पर तीन घंटे का समय के लिए इमेज परिणाम
दुनियाभर में लगभग 50 फीसदी लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। ज्यादातर लोग इस गर्दन और कंधों में दर्द समझते हैं लेकिन असल में ये एक बीमारी है।

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