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रावन के द्वारा रचित तांत्रिक मंत्र*
*लंकापति रावण को दुनिया एक बुरा और सबसे नकारात्मक
रूप में मानती है। रामायण काल में रावन की सबसे बड़ी भूल थी
सीता हरण,
लेकिन रावन एक विद्वान पंडित होने के साथ ही विद्वान
तांत्रिक और ज्योतिषी भी था।*
माना जाता है कि सौरमंडल के सभी ग्रह रावण के ही इशारे पर
चलते थे। कोई भी ग्रह रावण की इच्छा के विरुद्ध कार्य नहीं कर
सकता था। मेघनाद के
जन्म के समय रावन ने सभी ग्रहों को आदेश दिया था कि वे सभी
एक निश्चित
स्थिति में बने रहे ताकी उसका पूत्र महान योद्धा और यशस्वी हो।
सभी ग्रहों ने
रावण के निर्देशानुसार कार्य किया, लेकिन आयु के कारक कहे
जाने वाले शनि ग्रह ने
ठीक उसी समय अपनी स्थिति को परिवर्तित कर लिया जब मेघनाद जन्म
लेने वाला था। इस वजह से वह यशस्वी, महान पराक्रमी, अविजित योद्धा तो बना लेकिन
वह अल्पायु हो गया।*
रावन भगवान शिव का परम भक्त भी था और रावन ने ही शिव
तांडव स्त्रोत की रचना की थी।*
*रावन के द्वारा रचित तांत्रिक मंत्र जो बहुत ही प्रभावशाली होने
के साथ बहुत सरल भी है।*
*ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य
समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा॥*
*जिस किसी को धन का अभाव रहता है या धन आता है और
किसी करण से वह वापस चला भी जाता है चाहे वह बीमारी के
कारण हो या किसी
अन्य कारण से अगर इस कुबेर मंत्र का पूरी श्रदा के साथ प्रतिदिन
108 बार जाप
करने के बाद अपने कार्य में लगता है उसे कभी धन की कमी
नहीं रहती है*।
*यह मंत्र रावन ने स्वंय बनाया था और इसी मंत्र से रावन के
पास सभी प्रकार की शक्तियां और एर्श्वय था।*
समय 108 बाद जाप किया जाए तो यह सिद्ध हो जाता है और ठीक रावन की भांति ही सभी सुखों को प्राप्त करता है। ऐसा रावन संहिता में लिखा है*।
*लां लां लां लंकाधिपतये लीं लीं लीं लंकेशं लूंलूंलूं लोह जिव्हां, शीघ्रं आगच्छ आगच्छ चद्रंहास खडेन मम शश्रुन विरदारय विदारय मारय मारय काटय काटय हूं फट स्वाहा’’*
मास पर्यन्त प्रतिदिन एक हजार बार जपें। मंत्र जाप पूर्ण होने के
बाद ब्राह्मणों और
कुमारी कन्याओं को भोजन करवान चाहिए। ऐसा करने से
धन की समस्या दूर होती है*।
*ॐ क्लीं ह्रीं ऐं ओं श्रीं महा यक्षिण्ये सर्वैश्वर्यप्रदात्र्यै नमः*॥
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*इमिमन्त्रस्य च जप सहस्त्रस्य च सम्मितम्। कुर्यात् बिल्वसमारुढो मासमात्रमतन्द्रितः*॥
*रावन ने अपनी सहिंता में अनेक वनस्पति से भी मंत्र सिद्ध किए
जाते है ऐसा उलेख मिलता है। आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन शुभ
मुहूर्त्त में बिल्वपत्र
के नीचे बैठकर भगवान शिव की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए
और श्रावण
मास में प्रतिदिन कुबेर की पूजा करके निम्नलिखित कुबेर
मंत्र का 108 बार मंत्र का
जाप करना चाहिए*।
” *ॐ यक्षराज नमस्तुभ्यं शंकर प्रिय बांधव।*
*एकां मे वशगां नित्यं यक्षिणी कुरु ते नमः*॥”
वट वृक्ष के नीचे किसी शांत स्थान पर चमड़े का
आसन बिछाकर उस पर बैठना
चाहिए और रूद्राक्ष की माला से*
* ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा*
* मंत्र का जाप करने से धन-प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है और
कभी धनाभाव नही होता है। इस क्रिया को 21 दिनों तक लगातार
करना आवश्यक है।*
श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा*।‘
*इस मंत्र का जाप सवा माह तक एक ही स्थान पर
एक ही समय करने से अनेक प्रकार से धन की आवक होने लगती है।*
* इस मंत्र की रचना भी रावन ही कि थी और इस मंत्र के प्रभाव से
आपका खोया हुआ धन वापस लौट आता है। इस
मंत्र का जाप सवा माह में 10,000 की संख्या में करना चाहिए।*
*इस मंत्र का किसी भी शुभ अवसर जैसे अक्षय तृतीया, दीपावली, होली आदि की मध्यरात्रि में यह उपाय विशेष फलदायी रहता है। इस मंत्र को कुमकुम के द्वारा थाली पर लिखना चाहिए और जाप करना चाहिए इस मंत्र के जाप से धनाभाव की समस्या का नाश होता है।*
* रावन सहिंता के अनुसार दीपावली की रात पूरे विधि-विधान से महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए और विश्राम करना चाहिए। अगले दिन सुबह उठने के बाद और पलंग से उतरने से पहले आपको 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए और दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारना चाहिए। ऐसा करने से चारों और से धनागमन होता है।*
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