रात्रि में अचेत होकर सो जाता है

अधोगति में गिरना ही नरक में गिरना होता है। जिस तरह हमारे शरीर जब
रात्रि में अचेत होकर सो जाता है तब हम हर तरह के स्वप्न देखते हैं यदि
हम लगातार बुरे स्वपन्न देख रहे हैं तो यह नरक की ही स्थिति है। यह मरने


के बाद अधोगति में गिरने का संकेत ही है। वर्तमान में चौरासी लाख योनियों
से भी कहीं अधिक योनियां हो गई होगी। हालांकि पुरानी गणना अनुसार
निम्नलिखित 84 लाख योनियां थी। इस आप संख्या में न लेकर प्रकार में लें।

* पेड़-पौधे - 30 लाख
* कीड़े-मकौड़े - 27 लाख
* पक्षी - 14 लाख
* पानी के जीव-जंतु - 9 लाख
* देवता, मनुष्य, पशु - 4 लाख

किस नरक में कौन जाता है...

*बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने मनमाने यज्ञकर्म, त्योहार, उपवास और
पूजा-पाठ का अविष्कार कर लिया है तथा जो मनघड़ंत तांत्रिक कर्म भी करते
हैं। ऐसे दूषित भावना से तथा शास्त्रविधि के विपरीत यज्ञ आदि कर्म करने
वाले पुरुष कृमिश नरक में गिराए जाते हैं। इस प्रकार के शास्त्र निषिद्ध
कर्मों के आचरणरूप पापों से पापी सहस्त्रों अत्यंत घोर नरकों में अवश्य
गिरते हैं।

*बहुत से मनुष्य भोजन करते व्यक्त किसी का स्मण नहीं करते और भोजन के
नियमों को नहीं मानते इसका उनके जीवन पर प्रभाव पड़ता है। पुराणों में
कहा गया है कि जो देवताओं तथा पितरों का भाग उन्हें अर्पण किए बिना ही 

अथवा उन्हें अर्पण करने से पहले ही भोजन कर लेता है, वह लालभक्ष नामक नरक
में यमदूतों द्वारा गिराया जाता है।

*पुरणों अनुसार झूठी गवाही देने वाला मनुष्य रौरव नरक में पड़ता है।

*गोओं और सन्यासियों को कहीं बंद करके रोक रखने वाला पापी रोध नरक में जाता है।

*मदिरा पीने वाला शूकर नरक में और नर हत्या करने वाला ताल नरक में गिर जाता है।

*गुरु पत्नी के साथ व्यभिचार करने वाला पुरुष तप्तकुम्भ नामक नरक में
तड़पाया जाता है।

*जो अपने भक्त की हत्या करता है उसे तप्तलोह नरक में तपाया जाता है।

*गुरुजनों का अपमान करने वाला पापी महाज्वाल नरक में डाला जाता है।

*गरूड़ पुराण अनुसार वेद शास्त्रों का अपमान करने और उन्हें नष्ट करने
वाला लवण नामक नरक में गलाया जाता है।



*धर्म मर्यादा का उल्लंघन करने वाला विमोहक नरक में जाता है।

*देवताओं से द्वेष रखने वाला मनुष्य कृमिभक्ष नरक में जाता है।

*आजकल लोग ज्यादा छली हो गए है। सब जीवों से व्यर्थ बैर रखने वाला तथा छल
पूर्वक अस्त्र-शस्त्र का निर्माण करने वाला विशसन नरक में गिराया जाता
है।

*असत्प्रतिग्रह ग्रहण करने वाला अधोमुख नरक में और अकेले ही मिष्ठान्न
ग्रहण करने वाला पूयवह नरक में पड़ता है।

*बहुत से लोग जानवरों को पालकर उनके बल पर अपना जीवन यापन करते हैं। आजकल
मुर्गों और कुत्तों को बेचने और पालने का व्यापार भी चल रहा है। बकरा,
मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली तथा पक्षियों को जीविका के लिए पालने वाला मनुष्य
भी पूयवह नरक में पड़ता है।




*बहुत से लोग दूसरों के प्रति बैर भाव रखते हैं और उनका अहित करने की ही
सोचते रहते हैं। पुराणों में कहा गया है कि दूसरों के घर, खेत, घास और
अनाज में आग लगाता है, वह रुधिरान्ध नरक में डाला जाता है।

*ज्योतिषी विद्या का आजकल ज्यादा प्रचलन है। झूठ बोलकर धंधा करने वाले
ज्योतिषियों की तो भरमार हो चली है। पुराणों अनुसार नक्षत्र विद्या तथा
नट एवं मल्लों की वृत्ति से जीविका चलाने वाला मनुष्य वैतरणी नामक नरक
में जाता है।

*धन, ताकत और जवानी में अंधे और उन्मु‍क्त होकर दूसरों के धन का अपहरण
करने वाले पापी को कृष्ण (अंधकार) नामक नरक में गिराया जाता है।

*पूरे विश्व में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बहुत तेजी से
वृक्षों को काटा जा रहा है। पुराणों अनुसार वृक्षों को काटने वाला मनुष्य
असिपत्रवन में जाता है। वृक्षों में भी पीपल, बढ़, नीम, केल, अनार,
बिल्व, आम, अशोक, शमी, नारियल, अनार, बांस आदि पवित्र वृक्षों को काटना
तो घोर पाप माना गया है।

*इसके अलावा जो कपटवृत्ति से जीविका चलाते हैं, वे सब लोग बहिज्वाल नामक
नरक में गिराए जाते हैं।

*पराई स्त्री और पराए अन्न का सेवन करने वाला पुरुष संदर्श नरक में डाला जाता है।

*जो दिन में सोते हैं तथा वृत का लोप किया करते हैं और जो शरीर के मद से
उन्मत्त रहते हैं, वे सब लोग श्वभोज नामक नरक में पड़ते हैं।

*जो भगवान् शिव और विष्णु को नहीं मानते, उन्हें अवीचि नरक में गिराया जाता है।

दरअसल, मनुष्य अपने कर्मों से ही उक्त नरकों में गिर जाते हैं। जैसी मति
वैसी गति। जैसी गति वैसा नरक। नरकों से छुटकारा माने के लिए विद्वान लोग
वेदों का पालन करने की सलाह देते हैं। वेद पठन, प्रार्थना और ध्यान से ही
नरकों से बचा जा सकता है।

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